कविता:- जीवन का सार

     
                        "जीवन का सार"

"प्रभु आपका खूब खूब आभार...
प्रभु आपका खूब खूब आभार...

हमें कराने यह एहसास...
         माता-पिता दिए हमारे पास...
आप बुझांते हम सबकी प्यास...
        आप रखते हमें वैसे जैसे हम है तुम्हारे ख़ास...
आपकी मौजूदगी का होता हमें हरदम होता भास्...
        आप है तो जीवनमें कुछ करने की आस...
आप हरपल हमे खुश रखोंगे है हमें यह विश्वास...
        क्योंकि माता-पिता भेजें आप ही ने हमारे पास...
अंत में ये बात कहना चाहता हूँ में आज...
        अपने मात-पिता का रखना ख्याल...
यदि जीवन में कुछ करना है आज...

मात-पिता की सेवा करना, उसमें ही जीवन का सार...
मात-पिता की सेवा करना, उसमें ही जीवन का सार..."

                              - धर्मदेवसिंह महिडा
                                १६-१०-२०१८

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